Law अर्थार्थ क़ानून

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3 Comments
क़ानून जितना पेचीदा कोई विषय हो ही नही सकता। यह पोस्ट हिन्दी में लिखने का मन् हुआ इसलिए गूगल ट्रांस्लितेरेशन का लाभ उठा रहा हूँ। हाँ तो मैं कह रहा था कि क़ानून एक बहुत ही पेचीदा विषय है। यह Financial Management जितना कठिन तो नहीं है पर इसमे शब्दों का प्रयोग जिस प्रकार से किया जाता है, यह विषय अत्यधिक कठिन बन जाता है। यह पोस्ट लिखने कि वजह भी मेरे End Terms के दौरान की गई पढ़ाई है।

उदाहरण के तौर पे Company Act में दी गई Company की परिभाषा ही ले लीजिये
"company" means a company formed and registered under the Company Act
इस परिभाषा से किसी को क्या और कितना समझ आता है? ऐसे ही अन्य उदाहरण मैंने अपने End Terms की तैयारी के दौरान देखे।

पर एक बात जो काबिल--तारीफ़ है जिसे मैंने और मेरे बंधुओ ने बहुत सराहा है कि यह जिन्होंने भी क़ानून लिखा होगा उन्होंने कितना सोचा होगा, कितने समय के लिए सोचा होगा और क्या क्या सोचा होगा। कितना विशाल है यह क़ानून।

यह ही नही बल्कि मुझे तो यह तक प्रतीत होने लगा है
कि क्योकि कानून की भाषा इतनी उलझी हुई लगती है, इसमे loopholes ढूंढ के उन्हें exploit किया जाता होगा.

जब भी मैं कोई अंश अपनी पुस्तक से पढ़ता था, एक समझ मेरे दिमाग में बैठ जाती थी। पर कुछ ही क्षणों में जब उस पढ़े हुए अंश का उदाहरण पढ़ता था तो सब गुड़ गोबर हो जाता था। वो उदाहरण text से बिल्कुल contradictory व्यतीत होता था।

कभी कभी तो पहली पंक्ति और बिल्कुल अगली पंक्ति ही contradictory लगती थी और शायद थी भी।

मुझे अभी तक promissory note, bills of exchange और cheque वाले section में payable to bearer, payable on demand, payable to bearer on demand, payable at sight, payable at presentment के बीच में अन्तर नही समझ आया।

घोर असमंजस।

एक और उदाहरण है public company की परिभाषा।
public company is any company which is not a private company
अरे मानुष यह तो हमें भी पता है। इसमे आपने ऐसा क्या बता दिया जिससे क्रांति जाए?

एक और मिसाल betting की लेते हैं। betting क़ानून के ख़िलाफ़ है पर horse race को मान्यता प्राप्त है।

Contingency contract और उससे related कुछ, betting और wagery में कुछ कुछ, सब इतना confusing है
कि अब याद भी नही है।

ऐसा नही है
कि यह सब ग़लत हो। बस थोड़ा confusing है और लिखने का ढंग अलग है। जैसे की अब आप director कि परिभाषा को ही लें लें
director includes any person occupying the position of a director by whatever name called.
अब इसका मतलब मुझे समझ आ गया जबकि दिखने में यह भी बहुत अजीब सी परिभाषा है।

चलिए अब यह पोस्ट अपने शिक्षक द्वारा कही गई पंक्ति के साथ ख़त्म करता हूँ।
honesty is the best principle but not the best policy
चलिए अब आज्ञा दीजिये, दोपहर के तीन बज रहे हैं। मैंने कुछ खाया नही है, खाना छोडिये मैंने तो अभी दंत मंजन के दर्शन भी नही किए। लैपटॉप खोला और अचानक से हिन्दी में ब्लॉग पोस्ट लिखने का जी हो उठा।

काफ़ी मज़ा आया हिन्दी में लिखने का। और भी पोस्ट हिन्दी में लिखने
कि इच्छा है अब। लिखूंगा कुछ और हिन्दी में। तब तक के लिए अलविदा।


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3 comments:

Unknown said...

hindi mein blog...how do I read it now :(

Ishan Bishnoi said...

Achha hai achha hai

Gravity said...

arey hindi kya aapko toh punjabi aur gujrati mein bhi try karna chahiye aap wahan bhi fodd maccha doge

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